विकल्प कुदेशिया/बरेली: शिक्षा पर हर किसी का एक समान हक होता है.आज के दौर में यह बात कहना जितना आसान है इसे कर पाना उतना ही मुश्किल है. मौजूदा समय में शिक्षा को सेवा की जगह व्यापार बना दिया गया है. इस वजह से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए शिक्षा ग्रहण कर पाना काफी मुश्किल हो गया है. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इसे आज भी सेवा के रूप में देखते हैं. बरेली के रहने वाले सुरेंद्र पटवा भी इन्हीं में से एक हैं, जो की निःशुल्क शिक्षा संस्थान (बाल संस्कार केंद्र) चलाते हैं. यह शिक्षा संस्थान सैदपुर हॉकिंस नाथ नगरी बरेली में पिछले 2 साल से संचालित है. यहां आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए निःशुल्क विद्यालय चलाया जाता है. सुरेंद्र पटवा द्वारा चलाई जाने वाली बाबा महाकाल सेवा ट्रस्ट में वह और उनके साथी मिलकर आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को फ्री शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं. बाबा महाकाल सेवा ट्रस्ट के द्वारा इन बच्चों को यह शिक्षा शाम 4 से 6 बजे के बीच में उपलब्ध कराई जाती है. इसमें उन बच्चों को फ्री शिक्षा उपलब्ध कराई जाती हैं जों की मलिन बस्ती में रहते हैं और स्कूल जाने में असमर्थ हैं. साथ ही सही संसाधनों के कारण या आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए स्कूल में अगर एडमिशन नहीं हो पा रहा है तो, उन बच्चों के लिए भी बाल संस्कार केंद्र निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहा है.
निःशुल्क शिक्षा और सामग्री उपलब्ध कराते हैं
सुरेंद्र पटवा बताते हैं कि वह पिछले दो वर्षों से लगातार निःशुल्क बाल संस्कार केंद्र बाबा महाकाल सेवा ट्रस्ट चल रहे हैं. इसमें गरीब बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है जहां उन्हें सभी विषय पढ़ाए जाते हैं.वर्तमान समय में बाबा महाकाल सेवा ट्रस्ट के द्वारा 80 बच्चों को मुफ्त में प्रारंभिक शिक्षा देने का कार्य किया जा रहा है.धीरे-धीरे लगातार इसमें पढ़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है.बच्चों के लिए शिक्षा के सभी संसाधन बाल संस्कार केंद्र की ओर से ही उपलब्ध कराए जाते हैं.
21 लोगों की टीम चलाती है निशुल्क शिक्षा केंद्र
सुरेंद्र पटवा, अनीता मुकेश, जावित्री देवी, चंद्र प्रकाश, सुबोध शर्मा , राजेश कुदेशिया जैसे 21 लोगों की समिति के द्वारा जनसंपर्क की सहायता से बाबा महाकाल सेवा ट्रस्ट चलाया जा रहा है. इसमें बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति से भी जोड़ा जा रहा है.इन बच्चों को भारतीय संस्कृति के इतिहास के बारे में भी पढ़ाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : April 16, 2024, 21:25 IST