जांजगीर-चांपा. अब डॉन को पकड़ना नामुमकिन नहीं रहेगा. छत्तीसगढ़ के साथ ही देश भर की पुलिस अब भारत के हर कोने में अपराध करने वाले क्रिमिनल्स का डिजिटल डेटा तैयार कर रही है. आमजन के आधार कार्ड की भांति अब अपराधियों की भी डिजिटल कुंडली बनाई जा रही है. इसके बनने से देश के किसी भी कोने की पुलिस कंप्यूटर पर एक क्लिक करते ही क्रिमिनल की पूरी हिस्ट्री जान जाएगी. बदमाश के फिंगरप्रिंट से लेकर उसकी रेटिना, आंखों की पुतलियां समेत डीएनए से जुड़ी जानकारी जुटा रही है. इसे नेफिस (NAFIS) में अपलोड किया जा रहा है.
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले की पुलिस ने नेफिस में काम करना शुरू कर दिया है. पहले थानों में अपराधियों और आरोपियों की आपराधिक रिकॉर्ड कागजों में होते थे. लेकिन, अब यह साभी रिकॉर्ड न सिर्फ ऑनलाइन होंगे, बल्कि हाइटेक भी होंगे. एक क्लिक पर अपराधियों की कुंडली निकल जाएगी.
जानिए क्या है नेफिस
अपराधियों की पहचान के लिए केंद्र सरकार ने नया कानून नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटीफिकेशन सिस्टम (नेफिस) बना दिया है. यह कानून 19 सितंबर, 2022 से देश भर में लागू हो गया है. नेफिस में अपडेट करने के लिए जांजगीर-चांपा जिले में अपराधियों से संबंधित न्यायालयों के अभियोजन शाखा से मदद ली जा रही है.
SP ऑफिस में अपराधियों के रिकॉर्ड किए जा रहे स्कैन
पहले कई लोग पुलिस की जांच में अपनी निजता के उल्लंघन का हवाला देकर सैंपल देने से मना कर देते थे. लेकिन, अब केंद्र सरकार ने इसे कानून बना दिया है. इसलिए अब कोई इसका हवाला देकर डीएनए सैंपल देने से मना नहीं कर सकता. अब पुलिस को यह अधिकार दिया गया है कि वो संबंधित व्यक्ति को डॉक्टर के पास ले जाकर जांच करा सकेगा.
हर आरोपी का यूनिक कोड
जांजगीर-चांपा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने बताया कि इस सिस्टम में अपराधियों के फिंगरप्रिंट, आंखों की पुतली, अपराधियों का डेटा अपलोड किया जा रहा है. रेटिना पैर का प्रिंट लिया जा रहा है. अपराधियों की डीएनए रिपोर्ट भी इसमें अपडेट रहेगी. उसे स्कैन कर रखा जाएगा. प्रत्येक अपराधी का अलग यूनिक कोड रहेगा. स्कैन करने के बाद नेशनल सर्वर में डेटा पूरी जानकारी के साथ अपलोड किया जाएगा.