कांग्रेस ने खोजनी शुरू की ‘एंटनी रिपोर्ट,’ आखिर यह है कहां और क्यों है इतनी जरूरी
कोई नहीं जानता ऑफिस में कहां है एंटनी रिपोर्ट नेताओं का कहना- कभी दोबारा नहीं पढ़ी रिपोर्ट कांग्रेस को आशा- 2024 में हो सकता है चमत्कार
नई दिल्ली. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने कहा है कि कांग्रेस के लिए हिंदुओं के वोट महत्वपूर्ण हैं और यह साल 2024 में पार्टी के लिए चमत्कार कर सकते हैं. एंटनी के इस बयान के बाद उनकी पुरानी रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस में उथल-पुथल मच गई है. दरअसल, साल 2014 में पार्टी की जबरदस्त हार के बाद सोनिया गांधी ने इसकी वजह तलाशने के लिए एके एंटनी के नेतृत्व में कमेटी बनाई थी. इस ‘एंटनी रिपोर्ट’ को साल 2014 के अंत में सोनिया गांधी को सौंपा गया था. तभी से अभी तक यह रिपोर्ट कहीं धूल खा रही है.
एके एंटनी के सहयोगी और कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस रिपोर्ट की वह हालत है कि अगर आप कांग्रेस मुख्यालय जाएंगे तो कोई यह भी नहीं बता पाएगा कि रिपोर्ट की कॉपी रखी कहां है. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि रिपोर्ट कहीं रखी भी होगी. हम सभी में से किसी ने उसे दोबारा नहीं पढ़ा.’ अब सवाल यह उठता है कि आखिर अब एंटनी कमेटी की रिपोर्ट क्यों खोजी जा रही है. बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट की तलाश इसलिए की जा रही है, क्योंकि एके एंटनी ने जो कुछ भी अभी कहा वह सब साल 2014 की रिपोर्ट में है.
इस बात का किया खास जिक्र
चौंकाने वाली बात यह है कि कांग्रेस ने इस पर उस वक्त भी ध्यान नहीं दिया, जब वह उसके तैयार होने के बाद से एक लोकसभा और कई विधानसभा चुनाव हाथ से गंवा चुकी है. अब भविष्य में पार्टी के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है. बता दें, ‘एंटनी रिपोर्ट’ में साल 2014 में पार्टी की पराजय के कई कारण दिए गए हैं. लेकिन, इनमें सबसे खास है ‘सांप्रदायिकता-धर्मनिरपेक्षता’ के बीच युद्ध. उस दौर में महसूस किया गया कि कांग्रेस अल्पसंख्यक समर्थक है. इस मानसिकता से बीजेपी को चुनाव में जबरदस्त लाभ मिला.
कांग्रेसियों के बयानों से नुकसान
पार्टी की अल्पसंख्यकों को खुश करने वाली नीति का चुनाव में उलटा असर पड़ा. उस दौर में कांग्रेस के कई नेताओं के लगातार मुस्लिम कोटा पर बयान आ रहे थे. इस वजह से बहुसंख्यक मतदाता उनसे अलग हो गए. इतना ही नहीं, कांग्रेस ने अपने ही नेताओं के विरोधाभासी बयानों से अल्पसंख्यकों का समर्थन भी खो दिया. इसके बाद पार्टी ने एंटनी रिपोर्ट निकाली और अपनी छवि बदलने के प्रयास शुरू किए. कांग्रेस ने ध्रुवीकरण से बचने की कोशिश की. उसे लगा कि कहीं इसकी वजह से लेने के देने न पड़ जाएं.
राहुल की छवि बदलने की कोशिश
इसी वजह से पिछले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी ने राहुल गांधी की छवि बदलने की कोशिश की. राहुल लगातार मंदिर जाने लगे और हिंदुत्व-हिंदुओं की बात करने लगे. उन्होंने यह भी कहा था कि उनका और बीजेपी का हिंदुत्व अलग है. बीजेपी का हिंदुत्व विघटनकारी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, साल 2019 की हार के बाद जब समीक्षा की गई तो पता चला कि राहुल की बयानबाजी से कांग्रेस को नुकसान हुआ. आप ‘पीएम मोदी के केदारनाथ की तस्वीर’ का क्या जवाब देंगे. हम ये किस तरह कर सकते हैं. हम बीजेपी की कॉपी नहीं हो सकते. इससे जनता हमसे प्रभावित नहीं होगी.