सात शपथ के लिए समर्पित किया जीवन
विध्यांचल जी महाराज ने कहा, गौ, गंगा व गांजा मुक्त करे सरकार
प्रयागराज। कुम्भ की धरती पर सैकड़ों साधूओं का आगमन हो चुका है। जहां कुछ साधू-संत तप व साधना के लिए कुम्भ में शामिल हुए हैं वहीं कुछ ऐसे कर्तव्य परायण संत भी हैं जो अपने जीवन के कुछ ध्येय लेकर कुम्भ की धरती पर आए हैं। ऐसे ही एक संत से न्यूज़लैम्प हिन्दी दैनिक के संवाददाता आप सभी से रूबरू कराने की कोशिश कर रहे है। कुम्भ में आए संत विध्यांचल जी महाराज ने सात शपथ के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनकी प्राथमिकता है कि सरकार गौ, गंगा व गांजा को मुक्त करे।
न्यूज़लैम्प हिन्दी दैनिक के सवाददाता से उन्होंने बताया कि उन्होंने अपना जीवन जनकल्याण के साथ ही मवेशी व नदियों के लिए समर्पित कर दिया है। बताया कि मैंने १९ वर्ष की आयु से सन्यास ग्रहण कर लिया। मेरे सन्यास लेने के सात ध्येय हैं। गौ, गंगा व गांजा को मुक्त कराने के अलावा उनकी प्रमुख मांग ये भी है कि गांधी जी के चित्र को नोट(रुपये) से हटाया जाए। पांचवी मांग ये कि गीता को कोर्ट से हटाया जाए। उन्होंने बताया कि उनका मानना है कि कोर्ट में लोग गीत की कसम खाकर सत्य ही बोले ऐसा जरूरी नहीं इसलिए गीता को कोर्ट से हटाना चाहिए। छठवीं मांग ये की साधू को शरण मुक्त किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने बैलों पर होने वाले अत्याचार को देखते हुए सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिए। इसके लिए तमाम विभाग भी हैं मवेशियों के संरक्षण के लिए लेकिन वे अपना कार्य बेहतर तरीके से कर पाने में अक्षम दिखाई दे रहें हैं। मवेशियों पर होने वाले अत्याचार को लेकर भी उन्होंने अभियान चला रखा है। उन्होंने बताया कि जब सरकार उनकी मांगों लेकर कुछ ठोस कदम नहीं उठाती है, उनका ये संकल्प अनवरत जारी रहेगा।
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