अर्धकुम्भ को कुम्भ करने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट
योगी सरकार को झटका, सरकार के फैसले के खिलाफ दाखिल की गई याचिका
प्रयागराज। प्रयागराज में 2019 में आयोजित अर्द्ध कुम्भ का नाम बदलकर कुम्भ करने की सरकारी घोषणा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है, जिसकी सुनवाई शुक्रवार 4 जनवरी को होगी। अधिवक्ता सुनीता शर्मा व् तृप्ति वर्मा ने जनहित याचिका दाखिल की गयी है।
याचिका में सन्तो की सभा बुलाकर माघ मास में प्रयाग में लगने वाले मेले को अर्द्ध कुम्भ घोषित करने की मांग की गयी। याची का कहना है कि प्रयाग में छह वर्ष के अंतराल पर अर्द्ध कुम्भ व कुम्भ का आयोजन होता है, जब बृष एवं गुरु राशि तथा सूर्य व् चन्द्र मकर राशि में एक साथ आते है तो कुम्भ व् अर्द्ध कुम्भ लगता है, ऐसे में नाम बदलना भारतीय सांस्कृतिक परम्परा के विपरीत है । बता दें कि योगी सरकार ने अर्धकुम्भ को शासकीय स्तर पर कुंभ के रूप में मान्यता दी है और उसका विश्व स्तरीय प्रचार प्रसार किया जा रहा है ।
- कुम्भ व अर्ध कुम्भ के महत्व
‘अर्ध’ शब्द का अर्थ होता है आधा और इसी कारण बारह वर्षों के अंतराल में आयोजित होने वाले पूर्ण कुम्भ के बीच अर्थात पूर्ण कुम्भ के छ: वर्ष बाद अर्ध कुंभ आयोजित होता है। हरिद्वार में पिछला कुंभ 1998 में हुआ था। हरिद्वार में 26 जनवरी से 14 मई 2004 तक चला था अर्ध कुंभ मेला, उत्तरांचल राज्य के गठन के पश्चात ऐसा प्रथम अवसर था। इस दौरान 14 अप्रैल 2004 पवित्र स्नान के लिए सबसे शुभ दिवस माना गया। पौराणिक विश्वास जो कुछ भी हो, ज्योतिषियों के अनुसार कुंभ का असाधारण महत्व बृहस्पति के कुंभ राशि में प्रवेश तथा सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ जुड़ा है। ग्रहों की स्थिति हरिद्वार से बहती गंगा के किनारे पर स्थित हर की पौड़ी स्थान पर गंगा जल को औषधिकृत करती है तथा उन दिनों यह अमृतमय हो जाती है। यही कारण है कि अपनी अंतरात्मा की शुद्धि हेतु पवित्र स्नान करने लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
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