लोस चुनाव में भाजपा की राह आसान कर सकते हैं आरक्षित वर्ग
आरक्षण के मुद्दे पर राजभर और चौहान समाज में दिख रहा है गुस्सा, वहीं पार्टी के साथ जा सकते आरक्षित वर्ग के मतदाता
नई दिल्ली। आरक्षण के मुद्दे पर लगातार सरकार आलोचना झेलने के बाद भी ये स्पष्ट कर दिया किया कि भाजपा सरकार रहते आरक्ष्ाण समाप्त नहीं किया जाएगा। भाजपा के इस बयान से जहां आरक्षण विरोधी सरकार के विरोध में लामबंद हो रहे हैं, वहीं आरक्षण समर्थक भी सरकार के पक्ष में जाने की सम्भावनाएं भी प्रबल हो गई है। विपक्ष की घेरेबंदी से परेशान बीजेपी की मुसीबत पार्टी का वोट बैंक कहा जाने वाला राजभर समाज और चौहान बढ़ाते दिख रहे है। आरक्षण के मुद्दे को लेकर दोनों ही जातियों में गुस्सा साफ दिख रहा है।
दूसरी ओर दलित समुदाय भी सरकार के एससी/एसटी एक्ट को लेकर लिए गए फैसले से सरकार के समर्थन में जा सकते, अगर ऐसा हुआ तो सबसे ज्यादा नुकसान बहुजन समाज पार्टी होगा। उत्तर प्रदेश की बात करें तो दलितों का वोटबैंक ऐसा है कि वे किसी भी समर्थन करके जिता सकते हैं। भाजपा के अन्य पदाधिकारी भी दलित व पिछड़ों को रिझाने का हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं। अगर भाजपा की ये नीति सफल हुई तो उत्तर प्रदेश लोस चुनाव में सपा को तगड़ा झटका लग सकता है।
राजभर समाज के लोग जहां सुभासपा के बैनर तले सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं वहीं चौहान समाज के नेता मूलचंद चौहान पूरे प्रदेश में आरक्षण बटवारे के लिए गांव गरीब पंचायत का आयोजन कर रहे है। इससे भाजपा की मुश्किल बढ़ती दिख रही है। यदि 2019 के लोकसभा चुनाव में यह दो जातियां पार्टी का साथ छोड़ती है तो बीजेपी की राह और भी मुश्किल हो जायेगी।
बता दें कि लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के बीच गठबंधन होना तय माना जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बयान के बाद यह साफ हो गया है कि कांग्रेस को इस गठबंधन में जगह नहीं मिलेगी। अगर कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल होते और भाजपा अकेले मैदान में उतरती तो विधानसभा की तरह लोकसभा में कांग्रेस का वोट उन सीटों पर भाजपा की तरह शिफ्ट हो सकता था जहां कांग्रेस के प्रत्याशी नहीं होते। भाजपाई इसे लेकर उत्साहित भी थे। कारण कि विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस सपा गठबंधन का उन्होंने भरपूर फायदा उठाया था कांग्रेस का वोट बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुआ तो उससे 325 सीटों का प्रचंड बहुमत हासिल हुआ। अब चर्चा है कि कांग्रेस प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के साथ गठबंधन कर मैदान में उतर सकती है। अगर ऐसा होगा तो सीधा नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ेगा। करण कि कम से कम 40 सीट पर कांग्रेस के चुनाव लड़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है
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